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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2680
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य

व्याख्या भाग

प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)

उत्तर -

(1)

'अन्धा आदमी जब फड़फडाता है तो मानों उसके हाथों में मगर का बल आ जाता है। अंधे की पकड़ लाख जतन करो मुट्ठी टस से मस नहीं होगी। .... हाथ है या लौहार की संडसी। दन्तहीन मुँह की दुर्गन्ध। .... लार ....।'

सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित आँचलिक उपन्यास मैला आँचल से ली गयी हैं।

व्याख्या - महन्त सेवादास आवाज लगाकर लक्ष्मी को अपने पास बुला लेते हैं। लक्ष्मी चित्त को शान्त करने और सत्गुरु को ध्यान करने का उपदेश देती है परन्तु सेवादास लक्ष्मी घसीटकर हाथों में जकड़ लेते हैं ऐसा लगता है कि उस सेवादास की बाहों में मगरमच्छ का बल आ गया है। जिस प्रकार अन्धे की पकड़ से मुक्ति पाना कठिन है। चाहे जितने ही यत्न करो, परन्तु अंधे की मुख टस से मस नहीं होती है। सेवादास के हाथ लाहौर की संडासी के समान हो रहे हैं। इसके दन्तहीन मुख की दुर्गन्ध और टपकती हुई लार अलग है।

 

(2)

"विद्यापति की चर्चा होते ही कविवर 'दिनकर' का एक प्रश्न बरबस सामने आकर खड़ा हो जाता है। विद्यापति कवि के गाँन कहाँ? बहुत दिनों बाद मन में उलझे हुए उस प्रश्न का जवाब दिया - जिन्दगी भर बेगारी खटने वाले अनपढ़ गवार और अर्धनग्नों के कवि ! तुम्हारे विद्यापति के गान हमारी टूटी झोपड़ियों में जिंदगी के मधुर रस बरसा रहे हैं- ओ कवि ! तुम्हारी कविता ने मचलकर कहा था -
चलो कवि वन फूलों की ओर।'
वनफूलों की कलियाँ तुम्हारी राह देखती हैं।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

व्याख्या - हिमालय को सम्बोधन करते हुए दिनकर जी ने प्रश्न किया था कि तुम गंडकी से पूछों की विद्यापति के गाँन कहाँ हैं। यह प्रश्न बहुत समय से उलझा हुआ प्रशान्त के मन को मथ रहा था। इस प्रश्न का उत्तर उसे आज तक प्राप्त होता है कि विद्यापति के गीत जीवनभर बेगार को खटने वाले गरीबों के झोपडों तथा अनपढ़ गवाँरों और अर्धनग्न लोगों के घरों में अब भी गूँजते रहते हैं। वे हमारी टूटी झोपडियों में मधुर रस की वर्षा करते रहते हैं। इसी को सम्बोधन कर दिनकर जी ने कवि को 'वन फूलों की कलिया' अर्थात मिथिला के निवासी आज भी विद्यापति के गीतों की प्रतीक्षा करते हैं।

 

(3)

"जिस तरह सूरज का डूबना एक महान सच है। उसी तरह पूँजीवाद का नाश होना भी उतना ही सच है। मिलों की चिमनियाँ आग उगलेंगी और उन पर मजदूरों का कब्जा होगा। जमीनों पर किसानों का कब्जा होगा। चारों ओर लाल धुआँ मंडरा रहा है। उठो किसानों के सच्चे सपूतों ! धरती के सच्चे मालिकों उठो क्रान्ति की मशाल लेकर आगे बढो !"

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

व्याख्या - जिस प्रकार सूर्य उदय होकर अस्त होता है, उसी प्रकार बढ़े हुए पूँजीवाद का नाश भी ध्रुव सत्य है। पूँजीवाद का नाश होगा और मेहनतकशों को सत्ता मिल कर रहेगी। मिलों की चिमनियाँ आग उगलेंगी और अब उस पर पूँजीपतियों के स्थान पर मजदूरों का अधिकार होगा जो किसान जिस जमीन को जोत- बो रहा है और अन्न उत्पन्न कर रहा है, उस भूमि पर उसी का अधिकार होगा। चारों ओर लाल क्रान्ति का धुआँ मंडराकर छा रहा है। हे ! किसानों के सच्चे सपूतों ! उठो और क्रान्ति की मशाल को उठाकर आगे बढ़ो ! इस धरती के सच्चे मालिक तुम्हीं हो।

 

(4)

लेकिन धरती माता अभी सवर्णाचला है। गेहूँ की सुनहली बालियों से भरे हुए खेतों में पुरवैया हवा लहरें पैदा करती है। सारे गाँव के लोग खेतों में हैं। मानो सोने की नदी में, कमर भर सुनहले पानी में सारे गाँव के लोग क्रीड़ा कर रहे हैं। सुनहली लहरें, ताड़ के पेड़ों की पत्तियाँ, झरबेरी का जंगल, कोठी का बाग, कमलों से भरे हुए कमला नदी के गड्ढे।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

व्याख्या- डाक्टर प्रशान्त इन पंक्तियों में वसुन्धा को देखकर अपनी माँ की स्मृति करके भाव विह्वल हो उठते हैं। डॉ. प्रशान्त अपनी माँ का स्मरण कर धरती को माँ सम्बोधित करके कहते हैं - उसकी माँ भले ही अब न हो किन्तु धरती ही अब उसकी माँ है, यही माँ वसुन्धरा है, धरती माता है। सहसा प्रशान्त की भावधारा एक नया मोड़ लेती है वे कहते हैं कि माँ तो अपनी सन्तान को नहीं मारती किन्तु उनके पुत्र ही इस धरती माता को मारे डाल रहे हैं। धरती रत्नगर्भा है अभी स्वचला है, उसके आँचल में सुनहली बालियों से भरे हुए खेत हैं खेतों की फसल पुरवैया की हवा से लहलहा रही है इस हवा से फसलों में अनायास लहरें पैदा करती हैं। सारे गाँव के लोग खेतों में काम करने में व्यस्त हैं। खेतों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे सोने की नदी में कमर भर पानी भरा हो और उस पानी में सारे गाँव के कृषक परिवार जलक्रीड़ा कर रहे हैं। गाँव के खेतों के पास ताड़ के सुन्दर पेड़ों की पत्तियाँ, झरबेरी के सुन्दर जंगल, बाँस की कोठी के सुन्दर-सुन्दर बगीचे विद्यमान हैं, गाँव में कमला नदी बहती है उस कमला नदी में कमल के फूल और पत्ते फैले हुए हैं।

 

(5)

बुढौती में तो आदमी की इंद्रियाँ शिथिल हो जाती हैं, माया के प्रबल घाव को नहीं संभाल सकती हैं। इसलिये तो साधु-ब्रह्मचारी लोग बुढ़ापे में ही माया के बस में हो जाते हैं। यह महंथ साहेब सतगुरु के रास्ते से नहीं डिगते। यह ध्रुव सत्त है।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - महन्त साहब सबसे ज्यादा लक्ष्मी को ही प्यार करते थे वे सच्चे गुरु की दया से माया को जीतकर ब्रह्मचारी ही रहे।

व्याख्या - माया मनुष्य को सच्चे मार्ग से हटा देती है। उसके वशीभूत वह सर्वमान्य फैसला नहीं ले पाता है। वृद्धा अवस्था में मनुष्य की इन्द्रियाँ ढीली हो जाती हैं, वह चेतनता को प्राप्त नहीं होतीं। वे माया के सख्त घाव को संभाल सकती हैं। इन्द्रियों के शिथिल होने पर ही साधु- ब्रह्मचारी लोग वृद्धा अवस्था में माया के वशीभूत हो जाते हैं। यह माया महन्त साहब सतगुरु को अपने मार्ग से नहीं हटा पायी। यह ध्रुव सत्य है। एक ब्रह्मचारी का धर्म माया के वश में होने से ही नष्ट हो जाता है।

 

(6)

यह मेरे अभाव की संतान है। जो भाव तुम थे, वह दूसरा नहीं हो सका, परन्तु अभाव के कोष्ठ में किसी दूसरे की जाने कितनी कितनी आकृतियाँ हैं। जानते हो मैंने अपना नाम खोकर एक विशेषण उपार्जित कि है। और अब मैं अपनी दृष्टि में नाम नहीं, केवल विशेषण हूँ।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - अम्बिका की मृत्यु के पश्चात् उसे इतना विवश कर दिया कि उसे घर में अनचाहें भी विलोम को स्थान देना पड़ा। उसके सम्बन्ध से उसने एक बालिका को जन्म दिया। उसी को पालने की ओर संकेत करके मल्लिका कहती है

व्याख्या - अम्बिका की मृत्यु के कारण उसके अभाव में इस कन्या ने जन्म लिया है। इतना निश्चय था कि जो भाव था उसमें कभी कोई अन्तर नहीं आया। कोई दूसरा तुम्हारे भाव का ग्रहण नहीं कर पाया। किन्तु अभाव के कोष्ठ में न जाने कितनी आकृतियाँ हृदय में घर कर लेती हैं। अभाव ने मुझे इस कन्या के जन्म देने को विवश किया। तुम्हें नहीं मालूम कि तुम्हारे कारण मुझे वीरांगना का विशेषण मिला है किन्तु अब मै अपनी दृष्टि में केवल वारांगना मात्र ही रह गयी हूँ, मल्लिका नहीं।

 

(7)

सतगुरु साहिब कहिन हैं जहाँ तहाँ सरग है। मानुस जन्म बार-बार नहीं मिलता है। मानुस जन्म पाकर परमारथ के बदले हम सोआरथ देखें तो इससे बढ़कर क्या पाप हो सकता है। परमारथ में जो विघिन डालते हैं वे मानुस नहीं। आप लोग तो सास्तर पुराने पढ़े हैं जग्ग भंग करने वालों को पुराने में क्या कहा है, सो तो जानते ही हैं। सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - इस गद्यांश में मनुष्य जन्म और स्वर्ग तथा नर्क के विषय में बताया गया है।

व्याख्या - सतगुरु साहब का कहना है कि जहाँ-तहाँ स्वर्ग है। मनुष्य जन्म बार-बार प्राप्त नहीं होता है। मनुष्य जन्म पाकर परमार्थ करना चाहिए, मनुष्य को परोपकारी, परमार्थी होना चाहिए। यदि वह स्वार्थी होता है तो, वह पाप की भागीदार होता है। सबसे बड़ा पाप स्वार्थ ही है। परमार्थ में जो बाधा उत्पन्न करते हैं वे मनुष्य नहीं है। आप सब तो पुराण शास्त्र पढ़ते चले आ रहे हैं, जब यज्ञ किया जाता था जो लोग उसमें विघ्न डालते थे उन्हें राक्षस कहा जाता था। यज्ञ में विघ्न डालने वाला सर्वदा नीच प्रवृत्ति वाला माना जाता है।

 

(8)

लेबोरेटरी ! ....विशाल प्रयोगशाला। ऊँची चहारदीवारी में बंद प्रयोगशाला। .......साम्राज्य लोभी शासकों की संगीनों के साये में वैज्ञानिकों के दल खोज कर रहे हैं, प्रयोग कर रहे हैं। ......... गंजी खोपड़ियों पर लाल-हरी रोशनी पड़ रही है। ........ मारात्मक, विध्वंसक और सर्वनाशा शक्तियों के सम्मिश्रण से एक ऐसे बम की रचना हो रही है जो सारी पृथ्वी को हवा के रूप में परिणत कर देगा ...... ऐटम ब्रेक कर रही है मकड़ी के जाल की तरह। चारों ओर एक महाकार! सब वाष्प ! प्रकृति-पुरुष ............अंड पिंड ! मिट्टी और मनुष्य के शुभ चिंतकों को छोटी सी टोली अँधेरे में टटोल रही है। अँधेरे में वे आपस में टकराते हैं।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - आज चारों ओर वैज्ञानिक उन्नति हो रही है, मगर इसका परिणाम केवल सर्वनाश और स्वार्थमय आपाधापी है। इसी पर डॉक्टर प्रशांत विचार करता है -

व्याख्या - संसार तथाकथित सभ्य और उन्नत देश विज्ञान की खोज करने में संलग्न है। इसके लिए वे नाना प्रकार के वैज्ञानिक आविष्कार कर रहे हैं। जो सुरक्षा तथा गुप्त रखने की दृष्टि से ऊँची-ऊँची चहारदीवारी से घिरी है। साम्राज्य विस्तारक स्वार्थी राजनीतिज्ञों का इस पर पूरा-पूरा आधिपत्य है। इसी से इन शासकों द्वारा यहाँ पर कठोर संगीनों का पहरा रखा जाता है और इस कठोर पहरे में बड़े-बड़े वैज्ञानिक नाना प्रकार की वैज्ञानिक खोज प्रयोग कर रहे हैं। कार्य करते-करते इनके सिर के बाल उड़ जाते हैं और दिन में भी ये लाल-नीले प्रकाश में घिरे - कार्यरत रहते हैं। इनका उद्देश्य है- कड़ी मार करने, सब कुछ ध्वंस करने तथा सभी प्रकार की वस्तुओं का नाश करने में समर्थ भयंकर बमों का निर्माण करना। ये बम इतने शक्ति सम्पन्न होंगे कि सारी पृथ्वी को नष्ट कर देंगे! इन एटम बमों का प्रयोग मानव जाति के लिए आत्म संहारक सिद्ध होगा। जिस प्रकार एक मकड़ी अपने चारों ओर जाला बुनती है और स्वयं उसी में फँस जाती है, ठीक इसी प्रकार एटम बामों के जाल में मानव उलझकर नष्ट हो जायेगा। इसके प्रयुक्त होते ही चारों ओर एक भयानक अंधकार फैल जायेगा तथा सारा संसार और उसके समस्त जीव नष्ट हो जायेंगे। निःसन्देह गिने-चुने मानवतावादी लोग बचने बचाने का प्रयत्न कर रहे हैं मगर इनकी स्थिति भी अँधेरे में किसी वस्तु को ढूँढने के समान है। वे प्रयास तो करते हैं मगर असफलं बनकर रह जाते हैं। निरुद्देश्य लक्ष्यहीन की भाँति ये आपस में ही टकरा रहे हैं।

विशेष - यहाँ पर प्रशांत के माध्यम से स्वयं लेखक आज के वैज्ञानिक अभिशापों पर व्यंग्य कर रहा है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
  4. प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
  5. प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
  6. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
  7. प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
  8. प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
  9. प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
  10. प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
  12. प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
  13. प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
  15. प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
  16. प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
  17. प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
  23. प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
  24. प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  25. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
  27. प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
  28. प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
  30. प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
  32. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
  37. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
  39. प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  40. प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
  43. प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
  44. प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  46. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
  47. प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  49. प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
  50. प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
  51. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
  54. प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
  55. प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
  56. प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
  57. प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
  58. प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
  59. प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
  60. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
  61. प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
  65. प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
  67. प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
  68. प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
  69. प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
  71. प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
  73. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
  75. प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
  76. प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
  77. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
  78. प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
  79. प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
  81. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
  82. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  84. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
  89. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  90. प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
  92. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
  93. प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  94. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
  95. प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  96. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
  97. प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  99. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
  100. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  101. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  103. प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)

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